स्त्री हो या पुरुष, ये बातें ध्यान रखेंगे तो कभी गरीब नहीं होंगे
वही व्यक्ति जीवन में सफलता और सुख प्राप्त करता है जो हमेशा ही सर्तक रहता है और परिस्थितियों के विषय में चिंतन-मनन करता है।जो व्यक्ति निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए योजना बनाकर सही तरीके से कार्य करते रहता है वही कुछ शिखर तक पहुंच पाता है। कुछ लोग जीवन में कभी-कभी पूरी मेहनत करने के बाद भी सफल नहीं हो पाते हैं, जिससे उन्हें धन की कमी का सामना करना पड़ता है। यहां जानिए आचार्य चाणक्य के अनुसार हमें जीवन में किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए...
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि वही व्यक्ति समझदार और सफल है जिसे इन छ: प्रश्नों के उत्तर हमेशा मालुम रहते हो। समझदार व्यक्ति जानता है कि वर्तमान में कैसा समय चल रहा है। अभी सुख के दिन हैं या दुख के। इसी के आधार पर वह कार्य करता है। हमें यह भी मालुम होना चाहिए कि हमारे सच्चे मित्र कौन हैं? क्योंकि अधिकांश परिस्थितियों में मित्रों के भेष में शत्रु भी आ जाते हैं। जिनसे बचना चाहिए।
आचार्य चाणक्य के अनुसार...
क: काल: कानि मित्राणि को देश: कौ व्ययागमौ।
कस्याऽडं का च मे शक्तिरिति चिन्त्यं मुहूर्हुंहु:।
इस श्लोक में आचार्य ने बताया है कि व्यक्ति पूरी योजना के साथ कार्य करें लेकिन योजना के साथ ही कुछ और बातों का भी ध्यान रखना बहुत आवश्यक है। जो लोग यहां बताई गई बातों पर गौर करते हैं वे जीवन में कभी भी गरीब नहीं हो सकते और ना ही उनके जीवन में दुख आता है।
आचार्य चाणक्य ने कई ऐसे सूत्र बताए हैं जिनका पालन पर बहुत ही जल्द सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं। आगे जानिए इस श्लोक का पूरा अर्थ...
व्यक्ति को यह भी मालूम होना चाहिए कि जिस जगह वह रहता है वह कैसी है? वहां का वातावरण कैसा है? वहां का माहौल कैसा है? इन बातों के अलावा सबसे जरूरी बात है कि व्यक्ति को उसकी आय और व्यय की पूरी जानकारी होना चाहिए। व्यक्ति की आय क्या है उसी के अनुसार उसे व्यय करना चाहिए।
चाणक्य कहते हैं कि समझदार इंसान को मालुम होना चाहिए कि वह कितना योग्य है और वह क्या-क्या कुशलता के साथ कर सकता है। जिन कार्यों में हमें महारत हासिल हो वहीं कार्य हमें सफलता दिला सकते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति को यह भी मालूम होना चाहिए कि उसका गुरु या स्वामी कौन हैं? और वह आपसे चाहता क्या हैं?
इस प्रकार व्यक्ति को हमेशा ही सोचना चाहिए कि अभी समय कैसा है? मेरे मित्र कौन हैं? यह देश कैसा है? मेरी कमाई और खर्च क्या हैं? मैं किसके अधीन हूं? और मुझमें कितनी शक्ति है? इन छ: बातों को हमेशा ही सोचते रहना चाहिए। इन बातों का ध्यान रखने पर जीवन में दुख नहीं आता है।
किसी व्यक्ति को देखकर उसके मन की बात मालूम करना आसान काम नहीं है। जिन लोगों के पास अनुभव और दूसरों को समझने की शक्ति होती है वे ही किसी इंसान को देखकर उसके विषय में कुछ समझ सकते हैं।
यदि आप भी आपके आसपास के लोगों में कोई इंसान अच्छा है या नहीं यह जानना चाहते हैं तो आचार्य चाणक्य की यह नीति अपनाएं...
यदि आप भी आपके आसपास के लोगों में कोई इंसान अच्छा है या नहीं यह जानना चाहते हैं तो आचार्य चाणक्य की यह नीति अपनाएं...
आचार्य कहते हैं कि...
अग्निताप घसि काटि पिटि, सुवरन लख विधि चारि।
त्याग शील गुण कर्म तिमि, चारिहि पुरुष विचारि।।
इस दोहे के अनुसार किसी व्यक्ति को परखने के कुछ खास बातों पर ध्यान देना चाहिए। जिस प्रकार सोने को रगड़ा जाता है, काटा जाता है, तपाया जाता है और पीटा जाता है, तब ही होती है सोने की सही पहचान। शुद्ध सोने की परख केवल देख नहीं की जा सकती है। इसके लिए पूरी विधि का पालन करना होता है। ठीक इसी प्रकार इंसान के संबंध में कुछ बातों को ध्यान रखना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि सोना असली है या नकली, इसकी पहचान करने के लिए उसे कठीन परीक्षा से गुजरना पड़ता है। सोने को घिसकर, काटकर, तपाकर और पीटकर ही उसकी परख होती है। ठीक इसी प्रकार किसी इंसान परखने के लिए उसके चार गुणों को मुख्य रूप से देखना चाहिए। ये गुण हैं व्यक्ति की त्याग क्षमता, शील, गुण और कर्म।
व्यक्ति की अच्छाई का पता लगाने के लिए सबसे पहले उसकी त्याग क्षमता देखना चाहिए। यदि वह व्यक्ति किसी के लिए कुछ त्यागने में संकोच नहीं करता है, यदि उसके चरित्र अच्छा है, उसके गुण अच्छे हैं और अन्य लोगों के प्रति उसका आचरण अच्छा है तो नि:सदेह ऐसे लोग अच्छे इंसान होते हैं।
जानिए कैसी स्त्रियों पर भरोसा न करें और कैसी स्त्री से शादी न करें
आचार्य चाणक्य ने खासतौर पर स्त्रियों के विषय में कई नीतियां बताई हैं। कुछ नीतियों ऐसी हैं जो वर्तमान समय के अनुसार काफी खरी-खरी हैं।
यहां दिए गए फोटो में जानिए ऐसी ही कुछ चाणक्य नीतियां, जो स्त्रियों से संबंधित हैं..
यहां दिए गए फोटो में जानिए ऐसी ही कुछ चाणक्य नीतियां, जो स्त्रियों से संबंधित हैं..
आचार्य कहते हैं कि-
वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्।
रूपशीलां न नीचस्य विवाह: सदृशे कुले।।
आचार्य चाणक्य के अनुसार समझदार मनुष्य वही है जो विवाह के लिए नारी की बाहरी सुंदरता न देखते हुए मन की सुंदरता देखे। यदि कोई उच्च कुल या बड़े परिवार की कन्या दिखने में सुंदर नहीं है लेकिन सुंस्कारी हो तो उससे विवाह कर लेना चाहिए।
जबकि कोई सुंदर कन्या यदि संस्कारी न हो, अधार्मिक हो, नीच कुल की हो, जिसका चरित्र ठीक न हो तो उससे किसी भी परिस्थिति में विवाह नहीं करना चाहिए। विवाह हमेशा समान कुल में शुभ रहता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं-
नदीनां शस्त्रपाणीनां नखीनां श्रृंगीणां तथा।
विश्वासो नैव कर्तव्य: स्त्रीषु राजकुलेषु च।।
इस संस्कृत श्लोक का अर्थ यही है कि हमें नदियों पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए। शस्त्रधारियों पर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है। जिन जानवरों के नाखुन और सींग नुकिले होते हैं उन पर विश्वास करने वाले को जान का जोखिम बन सकता है।
आचार्य चाणक्य के अनुसार चंचल स्वभाव की स्त्रियों पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए। इनके साथ ही किसी राज्यकुल के व्यक्ति, शासन से संबंधित लोगों का भी भरोसा नहीं करना चाहिए।
आचार्य चाणक्य ने कहा है कि-
विषादप्यमृतं ग्राह्ममेध्यादपि कांचनम्।
नीचादप्युत्तमां विद्यां स्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि।।
इसका अर्थ है कि विष से अमृत ले लेना चाहिए। गंदगी में यदि सोना पड़ा हुआ है तो उसे उठा लेना चाहिए। कोई नीच व्यक्ति है और उसके पास कोई उत्तम विद्या है तो उसे ग्रहण कर लेना चाहिए। यदि किसी दुष्टकुल यानि संस्कारहीन परिवार में कोई सुसंस्कारी स्त्री है तो अविवाहित युवा को उस कन्या से विवाह कर लेना चाहिए।
आचार्य चाणक्य कहते हैं यदि कहीं बुराई है तो वहां से अच्छाई ग्रहण की जा सकती है। यदि कहीं विष है और वहां अमृत भी हो तो वहां से केवल अमृत को ही स्वीकार करना चाहिए। इसी प्रकार यदि कहीं गंदगी में सोने के आभूषण या अन्य मूल्यवान वस्तु पड़ी हो तो उसे उठा लेना चाहिए। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति स्वभाव से नीच है, अधर्मी है लेकिन उसके पास को उत्तम विद्या है तो उससे वह विद्या प्राप्त कर लेना चाहिए।
चाणक्य के अनुसार यदि किसी परिवार के सदस्यों के संस्कार और व्यवहार अच्छा नहीं है लेकिन वहां रहने वाली स्त्री सुसंस्कारी, शिक्षित है, गुणवान है, अविवाहित है तो उससे किसी योग्य वर को विवाह कर लेना चाहिए।
आचार्य चाणक्य के अनुसार समझदार और श्रेष्ठ मनुष्य वही है जो उच्चकुल में जन्म लेने वाली सुसंस्कारी कुरूप कन्या से विवाह कर लेता है। विवाह के बाद कन्या के गुण ही परिवार को आगे बढ़ाते हैं। जबकि सुंदर नीच कुल में पैदा होने वाली कन्या विवाह के बाद परिवार को तोड़ देती है। ऐसे लड़कियों का स्वभाव व आचरण निम्न ही रहता है। जबकि धार्मिक और ईश्वर में आस्था रखने वाली संस्कारी कन्या के आचार-विचार भी शुद्ध होंगे जो एक श्रेष्ठ परिवार का निर्माण करने में सक्षम रहती है।
चाणक्य कहते हैं कि जिन नदियों के पुल कच्चे हैं, जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं उस नदी पर भरोसा नहीं करना चाहिए क्योंकि कोई नहीं जान सकता कि कब नदी के पानी का बहाव तेज हो जाए, उसकी दिशा बदल जाए। जिन जीवों के नाखुन और सिंग होते हैं उन पर भरोसा करना जानलेवा हो सकता है। क्योंकि ऐसे जीवों का कोई भरोसा नहीं होता कि वे कब बिगड़ जाए और नाखुन या सींगों से प्रहार कर दे।
हमारे आसपास यदि कोई ऐसा व्यक्ति को जो अपने साथ हथियार रखता हो उस पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि जब भी वह गुस्से या आवेश में होगा तब उस हथियार का उपयोग कर सकता है। जिन स्त्रियों का स्वभाव चंचल होता है उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। जिन लोगों का संबंध शासन से है उन पर विश्वास करना भी नुकसानदायक हो सकता है क्योंकि वे अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए कभी भी आपको धोखा दे सकते हैं।
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